Monday, September 17, 2012

दिशा भारत की

दिशाएं कई प्रकार कि होती हैं| एक दिशा आदमी को सन्मार्ग पर ले जाती है |प्रायः इसके पीछे किसी महिला का हाथ होता है मसलन सोनिया गाँधी | एक दिशा खुद अपने आप में महिला होती है जिसके पदचिन्हों पर चलने वाले लाइब्ररी का चक्कर काटते नज़र आते हैं और अक्सर पास भी हो जाते हैं |कई दिशाएं ऐसी होती हैं जो शायद बहुत से लोगों को दिशा दे सकती थीं अगर भ्रूण हत्या की शिकार न होतीं| गांवों और कस्बों में एक ऐसी भी दिशा 
होती है जिसकी आवाज़ लोगों को अल सुबह सुनाइ देती है और कितने ही लोटा लेकर निकल पड़ते है |दिल्ली में बैठे कुछ लोग तो बिना लोटा लिए ही ३५ लाख तक का चुना सरकारी खजाने को लगाते हैं | एक दिशा ओलंपिक की भी होती है जहाँ दो बचों की माँ भी सूरज की तरह चमक जाती है |

पश्चिम की दिशा होती है जहाँ सेंसेक्स का सूरज हमेशा डूबा करता है और आर्थिक मंदी कि प्रबल संभावनाएं रहती हैं लेकिन उसका असर भारत पर कितने लाख करोड़ घोटालों के बावजूद नहीं पड़ता क्योंकि यहाँ हर घर में एक दिशा होती है जो बिना किसी डिग्री के जो प्रबंधन करती है वो शायद MBA वाले भी न करें |